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लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला मित्र भी भरण-पोषण का दावा कर सकती है

Legal Advice

मैं पिछले 10 वर्षों से अपने पुरुष मित्र के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रह रही हूँ।  मेरे एक 6 साल की बेटी भी है। विगत 3 महीनों से मेरा मित्र मुझे घर से निकालने का धमकी दे रहा है और उसने मुझसे सभी प्रकार के संपर्क समाप्त कर लिया है।  कई बार मेरा उससे बहस होती है कि अब मैं कहां जाऊंगी लेकिन वह मेरे किसी बात को नहीं मानता है, और मुझे भरण पोषण भी नहीं दे रहा है। 

हालांकि उसकी एक विवाहिता पत्नी भी है जिसके साथ वह पिछले 25 वर्षों से नहीं रह रहा है। क्या ऐसी स्थिति में मुझे भरण पोषण का दावा करने का अधिकार है? मैं अपनी बेटी के लिए भी भरण-पोषण का दावा कर सकती हूं?

इन परिस्थितियों में भी आप दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के अंतर्गत अपने एवं अपने पुत्री के लिए भरण-पोषण का दावा कर सकती हैं। धारा 125 के अंतर्गत पत्नी व बच्चे भरण पोषण का दावा कर सकते हैं। आपका मित्र पहले से ही विवाहित है इसलिए आपके साथ विवाह नहीं कर सकता था। इसलिए वह आपके साथ पिछले 10 वर्षों से लिव इन रिलेशनशिप में रह रहा है। 

वह इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकता। धारा 125 के अंतर्गत भरण-पोषण पाने के लिए इतना तथ्य पर्याप्त है। भरण पोषण के लिए विवाह की वैधता साबित करना आवश्यक नहीं है। धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत न्यायालय विवाह की वैधता एवं अवैधता था पर विचार नहीं करता है यदि स्त्री यह साबित कर देती है कि वह एक पत्नी की हैसियत से रह रही है तो इतना ही भरण पोषण पाने के लिए पर्याप्त होगा।

पायला मोतिया लंबा बनाम पायला सूरी धीमाडू (2012) 1 SCC (Cri) 371; के बाद में माननीय उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत न्यायालय विवाह की वैधता एवं अवैधता पर विचार नहीं करता। यदि तथ्यतः विवाह को साबित कर दिया जाता है तो स्त्री भरण-पोषण का दावा कर सकती हैं। 

यदि एक पक्षकार विवाह को तथ्यतः साबित कर देता है तो न्यायालय वैध विवाह की उपधारणा करता है एवं उसको तब तक वैध विवाह मानता है जब तक की दूसरे पक्षकार द्वारा विवाह को अवैध साबित नहीं कर दिया जाता। लिव इन रिलेशनशिप में लंबे समय से रहना यह साबित करता है कि आपका मित्र आपको एक पत्नी की हैसियत से अपने साथ रखता था। 

इन परिस्थितियों में उसका दायित्व है कि वह आपका और आपके पुत्री का भरण पोषण करे। पिता होने के नाते वह अपनी पुत्री का भरण-पोषण करने के लिए बाध्य है। वह अपने दायित्व से मात्र इस वजह से नहीं बच सकता कि उसने आपके साथ विधिपूर्वक विवाह नहीं रचाया है। 

धारा 125 के अंतर्गत विवाह को साबित करने के लिए इतने कठोर साक्ष्य की आवश्यकता नहीं होती जैसा कि धारा 494 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत द्विविवाह को साबित करने के लिए होती है। अतः आप लिव इन रिलेशनशिप को साबित कर देती हैं तो आप भरण-पोषण पाने की हकदार हैं। यह तथ्य साबित हो जाने पर न्यायालय उपधारणा करेगा कि वह आपके पुत्री का पिता है। इसलिए उसे आपके पुत्री को भी भरण-पोषण देना पड़ेगा।

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Shivendra Pratap Singh

Advocate

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With nearly two decades of experience as a practicing lawyer in Lucknow, I have been actively representing clients before the High Court of Judicature at Allahabad, its Lucknow Bench, as well as District Court since 2005.

My legal expertise spans across criminal law, matrimonial disputes, service matters, civil litigation, and property-related cases.

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